Sunday, 1 June 2014



काजल भगवत प्रेम का ,
 नयनो मे लूं डार कंठ मे भक्ति की माला हो , 
प्रभु सुमिरन का हार भक्त कदम वहाँ पर पड़े ,
 जहाँ प्रभु का द्वार
नयनों को बस आस रही ,
 हरि दर्शन की आस प्यास लगे जब कंठ को ,
 प्रभु जल की हो प्यास
हाथों मे जब भी मिले , 
प्रभु चरणों के फूल हाथ करे चरणों की सेवा , 
माथे चरणन धूल
कानों मे जब भी पड़े ,
 हो सत्संग का सार ।
प्रीत करूँ प्रभु की भक्ति से , 
ये है सच्चा प्यार

अधरों पर हर पल धरूं, 
प्रभु सुमिरन के बोल ।
जिहवा को पल पल मिले ,
 हरि अमृत का धोल
''जय श्री राधे कृष्णा '


जबते मोहि नन्दनंदन दृष्टि परो माई ।
तबसे परलोक लोक कछु न सुहाई ।
कहा कहूँ अनूप छबि बरनी नहीं जाई ।।
मोरन की चन्द्रकला सीस मुकुट सोहे ।
केसर रो तिलक भाल तीन लोक मोहे ।।
कुंडल की अलक झलक कपोलन पर छाई ।
मानो मीन सरवर तजि मकर मिलन आई ।।
ललित भृकुटि तिलक भाल चितवन में टोना ।
खंजन अरु मधुर मीन भूले मृग छोना ।।
सुंदर अपि नासिका सुग्रीव तीन रेखा ।
नटवर प्रभु वेश धरे रूप विशेषा ।।
हसन दशन दाड़िम दुति मंद मंद हाँसी ।
दामिन दुति चमकी जे चपला सी ।।
चन्द्र घंटिका अनुपम बरनी नहीं जाई ।
गिरिधर प्रभु चरनकमल मीरा बलि बलि जाई ।।
**** राधे कृष्णा हरे कृष्णा ****

हे कान्हा,
मुझे गुरूर है तेरे साथ का इतना
तूने चाहा मुझे इस हद तक, इसमें क्या गलती मेरी
बता क्या खता मेरी जो बनाया तुझको “महबूब” मैंने अपना
ये आशिकी भी सिखायी है तूने ही मुझे |
निकल गया हूँ तेरे दर को पाने के लिए अपने घर से
क्या मेरा ये यकीन तुझ पर, काबिल ऐ तारीफ़ नहीं
थी औकात मेरी क्या तेरे साथ से पहले
अब ये दिल ऐ गुस्ताख भी करता है हिमाकत ये
कि चुपके से कह देता है “महबूब” तुझको
धीरे से हौले से कह जाना दिल का
एक प्यार से सराबोर जुबान में |
बता किसकी है, खता इसमें, दिल की या तेरी
हां ये दिल भी जुबान बोलता है तेरी ही क्योकि
ये तो तेरा ही हो चुका है ज़माने से




घूंघट के पट ना खोले रे |
राधा, ना बोले, ना बोले, ना बोले रे |

राधा की लाज भरी अखियों के डोरे
देखोगे कैसे अब गोकुळ के छोरे 
देखो मोहन का मनवा डोले रे

याद करो जमुना किनारें, सावरीयां
फोडी थी राधा की काहे गगरीयां
इस कारण ना तुम संग बोले रे

रूठी हुई, यूँ ना मानेगी छलिया
चरणों में राधा के रख दो मुरलियाँ
बात बन जायेगी होले होले
!! राधे कृष्णा !!


गुरु को करिये वन्दना,
भाव से बारम्बार,
नाम सुनौका से किया,
जिसने भव से पार 

रहते हैं जलवे आपके नजरों में हर घड़ी,
मस्ती का जाम आपने ऐसा पिला दिया,
ऐसा पिला दिया ॥

जिस दिन से मुझको आपने अपना बना लिया,
दोनो जहाँ को हे प्रभु तब से भुला दिया,
तब से भुला दिया ॥

जिस ने किसी को आजतक सजदा नहीं किया,
वो सिर भी मैने आपके दर पे झुका दिया,
दर पे झुका दिया ॥