काजल भगवत प्रेम का ,
नयनो मे लूं डार कंठ मे भक्ति की माला हो ,
प्रभु सुमिरन का हार भक्त कदम वहाँ पर पड़े ,
जहाँ प्रभु का द्वार
नयनों को बस आस रही ,
नयनों को बस आस रही ,
हरि दर्शन की आस प्यास लगे जब कंठ को ,
प्रभु जल की हो प्यास
हाथों मे जब भी मिले ,
हाथों मे जब भी मिले ,
प्रभु चरणों के फूल हाथ करे चरणों की सेवा ,
माथे चरणन धूल
कानों मे जब भी पड़े ,
कानों मे जब भी पड़े ,
हो सत्संग का सार ।
प्रीत करूँ प्रभु की भक्ति से ,
ये है सच्चा प्यार
अधरों पर हर पल धरूं,
प्रभु सुमिरन के बोल ।
जिहवा को पल पल मिले ,
हरि अमृत का धोल
''जय श्री राधे कृष्णा '
''जय श्री राधे कृष्णा '




