Sunday, 1 June 2014



काजल भगवत प्रेम का ,
 नयनो मे लूं डार कंठ मे भक्ति की माला हो , 
प्रभु सुमिरन का हार भक्त कदम वहाँ पर पड़े ,
 जहाँ प्रभु का द्वार
नयनों को बस आस रही ,
 हरि दर्शन की आस प्यास लगे जब कंठ को ,
 प्रभु जल की हो प्यास
हाथों मे जब भी मिले , 
प्रभु चरणों के फूल हाथ करे चरणों की सेवा , 
माथे चरणन धूल
कानों मे जब भी पड़े ,
 हो सत्संग का सार ।
प्रीत करूँ प्रभु की भक्ति से , 
ये है सच्चा प्यार

अधरों पर हर पल धरूं, 
प्रभु सुमिरन के बोल ।
जिहवा को पल पल मिले ,
 हरि अमृत का धोल
''जय श्री राधे कृष्णा '

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