Sunday, 1 June 2014



घूंघट के पट ना खोले रे |
राधा, ना बोले, ना बोले, ना बोले रे |

राधा की लाज भरी अखियों के डोरे
देखोगे कैसे अब गोकुळ के छोरे 
देखो मोहन का मनवा डोले रे

याद करो जमुना किनारें, सावरीयां
फोडी थी राधा की काहे गगरीयां
इस कारण ना तुम संग बोले रे

रूठी हुई, यूँ ना मानेगी छलिया
चरणों में राधा के रख दो मुरलियाँ
बात बन जायेगी होले होले
!! राधे कृष्णा !!

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