श्याम वरण काया, निर्मल है तन- मन,
अद्भुत तेरा शैशव, नटखट है बालपन...
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देवकी के पुत्र किशन, जन्म कालकोठरी में
यशोदा का लाडला , करे लाड़ गोकुल में ....
पूतना का वध हो या कालिया का मर्दन,
माखन चुराए या उठाये गोवर्धन .....
मां के दुलार में सराबोर हुआ बचपन,
राजकुंवर ग्वालो से जताए अपनापन ...
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पुत्र की लीला से ,पुलकित है अंग अंग ,
हर मैया पूछे ! माखनचोर तेरे कितने रंग
जिन गोपियों के बीच कान्हा रास रचाए,
वही गोपियाँ ,उद्धव को भक्ति पाठ पढाये.....
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सोलह हजार रानियां मंडराए चहुँओर,
राधा के पावन प्रेम का पुजारी ! चितचोर.....
इतनी नारियो के बीच सभी भोगी कहलायें
रंगरसिया श्याम, फिर भी योगी कहलाये .....
प्रेम भी उद्यत है ,जब हो भक्ति के संग,
चकित है मीरा !मनमोहना तेरे कितने रंग

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