- : राधिका :-
न जाना छोड़के कान्हा तू मेरे मन
का वृन्दावन,
तेरे जाने की बातों से मेरे नयनों में है
सावन।
अग़र जाना ही था तो फिर बसे क्यूँ मन के
आँगन में,
बहुत देगा तुम्हें गारी ये जमना तीर
का उपवन।
- : कृष्ण :-
करेंगें हर घड़ी हर पल प्रतिक्षा हम
तेरी राधे,
बहुत सूना है ये मधुवन, निशा पूनम की ये
राधे।
हमारा रास क्या, मधुमास क्या, विश्वास
हो तुम ही,
मुरलिया भूल बैठी है मधुर सरगम
मेरी राधे।

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