निगाहों में यूँ बात होने लगी
प्यार की ही बरसात होने लगी
मेरे होंठो पे बसा श्याम ही श्याम हैं
कैसे कह दूँ? उन्ही से हमे काम हैं
अब उन्ही से मुलाकात होने लगी
छवि मोहन की नैनो में हैं बस गयी
आँखों में राधारानी हैं सज गयी
हर पल उनसे ही बात होने लगी
'हरिदासी' हैं उल्फत तो वोह पास हैं
प्यार से मिलता मोहन यही राज हैं
दीखता कण कण में, अब बात होने लगी
प्यार की ही बरसात होने लगी
मेरे होंठो पे बसा श्याम ही श्याम हैं
कैसे कह दूँ? उन्ही से हमे काम हैं
अब उन्ही से मुलाकात होने लगी
छवि मोहन की नैनो में हैं बस गयी
आँखों में राधारानी हैं सज गयी
हर पल उनसे ही बात होने लगी
'हरिदासी' हैं उल्फत तो वोह पास हैं
प्यार से मिलता मोहन यही राज हैं
दीखता कण कण में, अब बात होने लगी
श्री राधे राधे
- कितना नसीब होता वोह सामने ही होता
वोह साँवरा मुरारी,मेरे करीब होता
मिट्टी में आँसू जो गिरे सब देखते रहे
अछा ही होता-पोंछने वाला भी साथ होता
उनके ही राज में हम,महफिल में बेठे हैं
कितना ही अछा होता,जो देख लिया होता
सुना हैं करुना से भरा दिल हैं हजूर का
क्या जाता आपका,जो दिल से लगाया होता
आपकी चुप से समझा,के जमाना भी बुरा हैं
अछा ही होता जो हमे,दिला में छिपाया होता
बोलो जरा तो मोहन,"राधे" की' अर्ज पे
मीठा सा कुछ बोल के,कुछ हँस दिया होता



















