Monday, 9 December 2013


राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

निर्गुणियों के साँवरिया ने
खोये भाग जगाये ।

मैं नाहिं जानूँ आरती पूजा
केवल नाम पुकारूं ।

साँवरिया बिन हिरदय दूजो
और न कोई धारूँ ।

चुपके से मन्दिर में जाके
जैसे दीप जलाये ॥

राधा रास बिहारी
मोरे मन में आन समाये ।

दुःखों में था डूबा जीवन
सारे सहारे टूटे ।

मोह माया ने डाले बन्धन
अन्दर बाहर छूटे ॥

कैसी मुश्किल में हरि मेरे
मुझको बचाने आये ।

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥

दुनिया से क्या लेना मुझको
मेरे श्याम मुरारी ॥

मेरा मुझमें कुछ भी नाहिं
सर्वस्व है गिरिधारी ।

शरन लगा के हरि ने मेरे
सारे दुःख मिटाये ॥

राधा रास बिहारी मोरे
मन में आन समाये ॥
 ***राधे कृष्णा हरे कृष्णा ***



बहुत हो चुकी आँख मिचौली  , दूरी आज मिटाओ श्याम

मुझसे आकर मिलो यहाँ या, मुझको पास बुलाओ श्याम
मेरे श्याम, मेरे श्याम,मेरे श्याम,मेरे श्याम,मेरे श्याम

दूर -दूर रहते रहते तो दूरी बढती जाती है
तुम तो आते नहीं तुम्हारी,यादें बहुत सताती है
दिव्य नेत्र दे दो आँखों से पर्दा ज़रा हटाओ श्याम
मेरे श्याम.........................................................

दूर बज रही वंशी की धुन मुझको पास बुलाती है
कभी सुनाई देती मुझको और कभी खो जाती है
आओ मेरे निकट बैठ कर वंशी आज बजाओ श्याम
मेरे श्याम......................................................

भव सागर में भटक-२ कर देखा सब कुछ झूठा है
मोहन तेरी शरण में सुख है, सुख का सपना टूटा है
कृपा करो मुझपर भी अब तो अपनी शरण लगाओ श्याम
मेरे श्याम.....................................................

मेरी तो अभिलाषा मोहन अब तुम में मिल जाना है
थका -थका नदिया का जल हूँ, सागर आज समाना है
सागर में मिलने दो मुझको , "मैं" को आज मिटाओ श्याम

मेरे श्याम.....


मेरे सांवरिया बन गयी जोगन तेरी
नगर नगर में तेरे कारण निश दिन पाऊं फेरी
मेरे सांवरिया बन गयी जोगन तेरी

बड़ी कठिन प्रेम की राह सखी री मैं क्या करूँ
पिया करते नहीं निगाह सखी री मैं क्या करूँ
जन्म -जन्म से चलती आई
नित नित नयी-नयी ठोकर खायी
फिर भी राह पिया की न पाई मेरा क्षीण हुआ उत्साह
सखी री मैं क्या करूँ आली री मैं क्या करूँ

पिया करते नहीं निगाह सखी री मैं क्या करूँ
नापा जाना सहज गगन का ,पी लेना आसान अनल का
बांधा जन सुगम पवन का पर कठिन पिया की चाह
सखी री मैं क्या करूँ आली री मैं क्या करूँ
पिया करते नहीं निगाह सखी री मैं क्या करूँ

पहले मन में प्रीत लगाना आशा जल दे उसे बढ़ाना
निज हाथो फिर आग लगाकर कर देना री सब स्वाह
सखी री मैं क्या करूँ आली री मैं क्या करूँ
पिया करते नहीं निगाह सखी री मैं क्या करूँ

मेरे सांवरिया बन गयी जोगन तेरी
इस पर भी कुछ शोक न होना जागते रहना मरकर सोना
हँसते हँसते जीवन खोना करना प्रेम निभाह
सखी री मैं क्या करूँ आली री मैं क्या करूँ
पिया करते नहीं निगाह सखी री मैं क्या करूँ
मेरे सांवरिया बन गयी जोगन तेरी
### राधे कृष्णा हरे कृष्णा ###





""सुन राधिका दुलारी, मैं द्वार का भिखारी ,
तेरे श्याम का पुजारी,
एक पीडा हे हमारी ,
हमें श्याम न मिला ,
हमें श्याम न मिला ..........................

हम समझे थे कान्हा ,
कही कुंजन में होगा ,
ओ अभी तो मिलन
का हम ने सुख नहीं भोगा ,
सुन के प्रेम की परिभाषा ,
मन में बंधी थी जो आशा , आशा भई रे निराशा ,
झूठी दे गया दिलासा ,
हमें श्याम से मिला हमें श्याम से मिला.............................

देता है कन्हाई जिसे प्रेम की दिशा ,
सब विधि उस की लेता भी है परीक्षा ,
कभी निकट बुलाये , हो कभी दूरिय बढाये ,
कभी हँसाये - रुलाये , छलिया हाथ नहीं आये,
हमें श्याम से मिला हमें श्याम से मिला.............................

अपना जिसे यहाँ कही सब कोई ,
उसके लिए मैं दिन रातरोई ,
नेहा दुनिया से तोडा , नाता सावरे से जोड़ा ,
ओ उसने ऐसा मुख मोड़ा हमें कही का न छोड़ा ,
हमें श्याम से मिला हमें श्याम से मिला......................... सुन राधिका दुलारी, मैं द्वार का भिखारी , ओ तेरे
श्याम का पुजारी ,एक पीडा हे हमारी हमें श्याम से
मिला हमें श्याम से मिला..
***राधे कृष्णा हरे कृष्णा ***


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