कान्हा की छवि अति प्यारी है,
श्याम रंग की शोभा न्यारी है।
उस रूप सुधारस से मन का,
प्याला भर देंगे कभी न कभी।
राधा के मनमोहन घनश्याम,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
जो दीनों के परम धाम हैं,
जो केवट और सबरी के धाम है।
ऎसा रूप बनाकर उस घर में,
जा ठहरेंगे हम कभी न कभी।
मीरा के गिरधर गोपाल,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
करूणानिधि जिनका नाम है,
जो भवसागर से करते पार हैं।
उनकी करुणा कृपा पाकर,
पार पहुँचेंगे हम कभी न कभी।
गोपीयों के माधव कन्हैया,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
द्वार पर उसके खड़े हो जायें,
भक्ति में उसकी दृड़ हो जायें।
हम बिन्दु भी उस सिन्धु में,
मिल जायेंगे कभी न कभी।
करुणा के सागर दीनानाथ,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
***राधे कृष्णा हरे कृष्णा ***
श्याम रंग की शोभा न्यारी है।
उस रूप सुधारस से मन का,
प्याला भर देंगे कभी न कभी।
राधा के मनमोहन घनश्याम,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
जो दीनों के परम धाम हैं,
जो केवट और सबरी के धाम है।
ऎसा रूप बनाकर उस घर में,
जा ठहरेंगे हम कभी न कभी।
मीरा के गिरधर गोपाल,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
करूणानिधि जिनका नाम है,
जो भवसागर से करते पार हैं।
उनकी करुणा कृपा पाकर,
पार पहुँचेंगे हम कभी न कभी।
गोपीयों के माधव कन्हैया,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
द्वार पर उसके खड़े हो जायें,
भक्ति में उसकी दृड़ हो जायें।
हम बिन्दु भी उस सिन्धु में,
मिल जायेंगे कभी न कभी।
करुणा के सागर दीनानाथ,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
***राधे कृष्णा हरे कृष्णा ***
जब जब कृष्ण न बंसी बजाई
तब तब राधा मन हर्षाई
सखियों संग जमुना तट पहुची
पर कही दिखे न कृष्ण कन्हाई
"नटखट नंदगोपाल छुपे है
कही भी नहीं वो हमको दिखे है "
राधा मंद मंद मुस्काई
जान रही थे खेल रहे है
उसको यु ही छेड़ रहे है
तभी ग्वालो की टोली आयी
सखिया दौड़ी आस लगाई
"नहीं कही गोपाल नहीं है
क्यों है निष्ठुर बने कन्हाई ??"
राधा का मन व्याकुल ऐसा
बिन चाँद चकोर के जैसा
"कान्हा कान्हा दरस दिखाओ
मुरली की कोई तान सुनाओ"
"जग को छोड़ा तुम्हारी खातिर
जन्मो जन्मो युगों युगों
रूप धरा तेरी कहलाई "
"घर भी त्यागा सुख भी त्यागा
मीरा बन पिया विष का प्याला
फिर भी क्यों तुम परख रहे हो ?
अब तो कान्हा दरस दे-रहो
जाओ अब मैं भी न बोलू
पलकों के पट मैं न खोलू
रूठ गयी तो फिर न मिलूंगी
बंसी की धुन मैं न सुनूंगी"
कान्हा का अब मन विचलित है
"कैसे रूठी राधा को मनाऊ ??
रूठो न राधा तुम ऐसे
छेड़ रहा था मैं तो वैसे
तुम सखी मेरी अति प्रिया हो
बंसी अधर ( होठ) तुम लगी हिया (ह्रदय ) हो
अब जो तुम ऐसे रूठोगी
बंसी भी मुझसे रूठेगी
तुम कहो सौतन चाहे बैरन
वो गाए बस तेरे कारन
जो तुम रूठ गयी हो हमसे
सुर उसके भी भूल गए है
जाओ त्याग दिया अब उसको
तुम बिन वो भी रास न आये
नंदनवन में अब न सुनोगी
मेरी बंसी की धुन कोई "
यह सुन राधा ने पलकें खोली
"रूठ कभी न मै सकती हूँ
अब आप सताना छोड़ो हमको
बंसी की धुन कुछ ऐसी बजाओ
चारो दिशाए खिल खिल जाये
मेघ पड़े हरियाली छाये
मन तरंग से भर भर जाये
धरती पर खुशिया घिर आये "
"ये धुन बस तेरे ही लिए है
राधा के बिन कृष्ण न भाये
ऐसी लीला रची गयी है
राधा पहले फिर कृष्ण आये
राधा कृष्ण
राधे कृष्ण
बस ऐसे ही हर कोई गाये "
!!!!! राधे कृष्णा हरे कृष्णा !!!!!
तब तब राधा मन हर्षाई
सखियों संग जमुना तट पहुची
पर कही दिखे न कृष्ण कन्हाई
"नटखट नंदगोपाल छुपे है
कही भी नहीं वो हमको दिखे है "
राधा मंद मंद मुस्काई
जान रही थे खेल रहे है
उसको यु ही छेड़ रहे है
तभी ग्वालो की टोली आयी
सखिया दौड़ी आस लगाई
"नहीं कही गोपाल नहीं है
क्यों है निष्ठुर बने कन्हाई ??"
राधा का मन व्याकुल ऐसा
बिन चाँद चकोर के जैसा
"कान्हा कान्हा दरस दिखाओ
मुरली की कोई तान सुनाओ"
"जग को छोड़ा तुम्हारी खातिर
जन्मो जन्मो युगों युगों
रूप धरा तेरी कहलाई "
"घर भी त्यागा सुख भी त्यागा
मीरा बन पिया विष का प्याला
फिर भी क्यों तुम परख रहे हो ?
अब तो कान्हा दरस दे-रहो
जाओ अब मैं भी न बोलू
पलकों के पट मैं न खोलू
रूठ गयी तो फिर न मिलूंगी
बंसी की धुन मैं न सुनूंगी"
कान्हा का अब मन विचलित है
"कैसे रूठी राधा को मनाऊ ??
रूठो न राधा तुम ऐसे
छेड़ रहा था मैं तो वैसे
तुम सखी मेरी अति प्रिया हो
बंसी अधर ( होठ) तुम लगी हिया (ह्रदय ) हो
अब जो तुम ऐसे रूठोगी
बंसी भी मुझसे रूठेगी
तुम कहो सौतन चाहे बैरन
वो गाए बस तेरे कारन
जो तुम रूठ गयी हो हमसे
सुर उसके भी भूल गए है
जाओ त्याग दिया अब उसको
तुम बिन वो भी रास न आये
नंदनवन में अब न सुनोगी
मेरी बंसी की धुन कोई "
यह सुन राधा ने पलकें खोली
"रूठ कभी न मै सकती हूँ
अब आप सताना छोड़ो हमको
बंसी की धुन कुछ ऐसी बजाओ
चारो दिशाए खिल खिल जाये
मेघ पड़े हरियाली छाये
मन तरंग से भर भर जाये
धरती पर खुशिया घिर आये "
"ये धुन बस तेरे ही लिए है
राधा के बिन कृष्ण न भाये
ऐसी लीला रची गयी है
राधा पहले फिर कृष्ण आये
राधा कृष्ण
राधे कृष्ण
बस ऐसे ही हर कोई गाये "
!!!!! राधे कृष्णा हरे कृष्णा !!!!!
हे कुँवर कृष्णा कछु कृपा कीजे
प्रेम धन हमको भी दे दीजे
कछु कृपा कीजे
टेडी चितवन से इक बार
हमको भी देख लीजे
हाय श्याम घायल हमको ही कीजे
कछु कृपा कीजे
थारी दीवानी,फिरू मस्तानी
ढूँढू तोहे पाऊ तोहे
बनके तेरी दीवानी
हे कुँवर कृष्ण कन्हाई
मैं तो लुट गयी तुझ पे
यूँ ही बैठी बिठाई
यह हाल हैं मेरा तब
के जब उन्होने पर्दा अभी
जरा भी सरकाया ही नही
गर गिर जाए वो पर्दा तो....
ऐ श्याम सुन्दर अब तो
कछु कृपा कीजे
प्रेम धन हमको दे दीजे
आपकी दरस प्यास और तेज कर दीजे ***राधे कृष्णा हरे कृष्णा ***



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