मुरली धन्य भाग्य तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
अधरामृत पिलाया अधरों से
नाजुक कर कमलो से उठा कर के
तुमको लगाया अधरों से
मुरली धन्य भाग्य तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
कोमल कर से वो उठाते हैं
तुम्हे अपने करीब हर समय बिठाते हैं
कभी अपने पास सुलाते हैं
कभी होंठो का रस तुम्हे पिलाते हैं
कभी बांध के अपनी कमरिया में
रसिया अपने साथ तुम्हे ले जाते हैं
मुरली धन्य भाग तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
राधा रानी प्यारी वृषभानु की दुलारी हैं
लगे बड़ी ही प्यारी सरकार हमारी हैं
ठाकुर की ठाकुरायण मोहन मोहिनी प्यारी हैं
कृष्णा से मिलावन वाली राधा जी सरकार हमारी हैं
राधा में कृष्णा समाये कृष्णा में राधा प्यारी हैं
भोली महारानी रसराज की प्रिया प्यारी हैं
यही राधा प्यारी रसराज से मिलावन वाली हैं
हे राधा प्यारी रसराज से मिला दो
रसराज के संग अपने प्यारे दरस करा दो
उस मुरली मनोहर चितचोर से
दो बातें हमारी भी करवा दो
हमे भी राधा प्यारी
अपने चरणों की दासी बना लो
हमे रसराज संग अपने दरस करा दो
क्या कहू मैं मोहन तुमको
कब से नाता मेरा तुम्हारा
कब से जानू मैं तुझको
कब से बना हैं रिश्ता हमारा
जब से यह दिल बना
इस दिल में तू बसा
जब जब चलती हैं सांसें
नाम लेती क्यों तुम्हारा?
क्या कहू मैं मोहन
कब से हैं नाता हमारा
जब जब छवि तेरी निहारी
नयन क्यों अटक गए उसपे बनवारी
क्या जानू मैं मोहन
कैसे बना यह नाता हमारा



No comments:
Post a Comment