बलिहारी जाऊ मेरी छोड़ गगरी
श्याम सांवरे मेरी छोड़ गगरी
इस गगरी में जल भर लाऊ
ठाकुर के मैं चरण धुआऊं
खाने को दू मैं प्यारी रबडी
इस गगरी में ढूध भर लाऊ
प्रेम से श्याम को भोग लगाऊ
मोहे प्यारी लागे तेरी गोकुल नगरी
इस गगरी में माखन भरुंगी
श्याम के आगे जाके धरुँगी
वृन्दावन धाम हैं प्यारी नगरी
'राधिका दासी" बृजराज कन्हैया
नाचत निधिवन थैया थैया
चरणों में रहे तेरी प्रेम पगली
कृपा करो मो पर श्री राधा।
अब तो आई तेरे द्वार।
श्री राधे बरसाने वारि।
कृष्ण प्रिय अति भोरी भारी।
तुम सब मन की जानान्हारी।
रसिक जीवनी तुम हो श्यामा।
ना डूबो मझदार।
कृपा करो मो पर श्री राधा।
सखियन प्यारी कुंज बिहारिनि।
श्याम भवति सब सुख कारिन।
ब्रज की ठकुरानी हो मेरी प्राणाधार।
कृपा करो मो पर श्री राधा।
विपिन सम्पदा सप्त किशोरी।
करे सदा नित नित की चोरी।
सब गुनखानी तदपि अति भोरी।
सदा अराधें शुक मुनि नारद ।
ओ मेरी "राधे अलबेली प्रेम सरकार"
कृपा करो मो पर श्री राधा।
टहल महल तेरे मन भाई।
"श्री गोपाल" की प्राण जीवनी।
पलकन डगर बुहार।
कृपा करो मो पर श्री राधा।
नन्द का दुलारा,आँखों का तारा
डूबते को जैसे मिलता किनारा!!!
हम दीन हैं,दीनबन्धु तुम्ही हो,
गुनाहगार हम, करुणासिन्धु तुम्ही हो,
तुम बिन कहा जाए,निर्धन बेचारा
तुम बंसीधर हम बंसी तुम्हारी
तुम्हे याद करती हैं राधा तुम्हारी
दर्शन दिया तूने घनश्याम प्यारा प्यारा
"राधिका" गाती हैं गुणगान तेरा
सभी को सुनाती हैं यशगान तेरा
जो भी हैं मेरा,सभी हैं तुम्हारा



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