Tuesday, 10 December 2013


कान्हा काहे को तू मुस्काए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे 

रानी हजारों तेरी रुक्मण पटरानी 
तेरे सिवा ना किसी की राधारानी
कहे मोहन कोई ढूंड के लाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे

तेरे महल कान्हा नित ही दिवाली
राधा की तुम बिन पूनम भी काली
रो रो नैनों की जोत गंवाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे

लाखों को पार कान्हा तूने उतारा
बस जीते जी तूने राधा को मारा
फिर क्यों पालनहार कहाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे


ओ मेरे कान्हा !
अब समय आ गया है
तुम्हारे वापस आ जाने का
और मुझे पता है
तुम आ भी जाओ, शायद
पर क्या तुम
इस सांझ की बेला में
वो महक ला सकोगे
जो तुम्हारे जाने से पहले थी

क्या तुम वो बीते पल ला सकोगे
जो मैंने बगैर तुम्हारे तनहा sगुजारे
मेरे उन आंसुओ का हिसाब दे सकोगे
जो दिन रत अनवरत बहते ही रहे

तुम किस किस बात का हिसाब दोगे
और मैं तुमसे हिसाब मांगू ही क्यूँ
क्या अधिकार रहा मेरा तुम पर
तुम जाते वक्त सब, हा सब,
साथ ही तो ले गए अपने
और जानते हो कान्हा
एक बार कोई अपना, पराया हो जाए, तो,
फिर वो अपना नहीं रहता
और ये बात तुमसे अच्छा कौन समझ सकता है

जय श्री कृष्णा _/\_ ....



दिल पर ऐसे भी दर्द को उतरते देखा कान्हा,
हम ने चुपचाप तुम्हें खुद से बिछड़ते देखा,
तुझको सोचा तो हर सोच में खुशबू उतरी,
श्याम लिखा तो हर लफ्ज़ महकते देखा,
याद आ जाये तो काबू नही रहता दिल पर,
श्याम इस दुनिया ने भी हमको तड़पते देखा,
तेरी सूरत को बस आँख ही नही तरसी है,
रास्तों को भी तेरी याद में रोते देखा,
हम मोहब्बत के लिए आज भी दीवाने हैं,
ये अलग बात है की तुमने मुड कर नही देखा।

जय जय श्री राधे .........
 


4 comments:

  1. मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी http://neelsahib.blogspot.in/

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  2. वाह राधिका जी मेरी रचना को यहाँ स्थान दिया। आभारी हूँ मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी http://neelsahib.blogspot.in/

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  3. वाह राधिका जी मेरी रचना को यहाँ स्थान दिया। आभारी हूँ मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी http://neelsahib.blogspot.in/

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  4. मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी http://neelsahib.blogspot.in/

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