नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
लुट जाऊँगी श्याम तेरी लटकन पे,
बिक जाऊँगी लाल तेरी मटकन पे ।
मोरे कैल गरारे भाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
मर जाऊँगी कान्हा तेरी अधरन पे,
मिट जाऊँगी तेरे नैनन पे ।
वो तो तिरछी नज़र चलाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
बलिहारी कुंवर
आप इतना सूंदर लिखती हो की मन कृष्ण प्रेम में डूब जाता है। हरे कृष्णा
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