हे कान्हा,
मुझे गुरूर है तेरे साथ का इतना
तूने चाहा मुझे इस हद तक, इसमें क्या गलती मेरी
बता क्या खता मेरी जो बनाया तुझको “महबूब” मैंने अपना
ये आशिकी भी सिखायी है तूने ही मुझे |
निकल गया हूँ तेरे दर को पाने के लिए अपने घर से
क्या मेरा ये यकीन तुझ पर, काबिल ऐ तारीफ़ नहीं
थी औकात मेरी क्या तेरे साथ से पहले
अब ये दिल ऐ गुस्ताख भी करता है हिमाकत ये
कि चुपके से कह देता है “महबूब” तुझको
धीरे से हौले से कह जाना दिल का
एक प्यार से सराबोर जुबान में |
बता किसकी है, खता इसमें, दिल की या तेरी
हां ये दिल भी जुबान बोलता है तेरी ही क्योकि
ये तो तेरा ही हो चुका है ज़माने से
**राधे कृष्णा हरे कृष्णा **
—मुझे गुरूर है तेरे साथ का इतना
तूने चाहा मुझे इस हद तक, इसमें क्या गलती मेरी
बता क्या खता मेरी जो बनाया तुझको “महबूब” मैंने अपना
ये आशिकी भी सिखायी है तूने ही मुझे |
निकल गया हूँ तेरे दर को पाने के लिए अपने घर से
क्या मेरा ये यकीन तुझ पर, काबिल ऐ तारीफ़ नहीं
थी औकात मेरी क्या तेरे साथ से पहले
अब ये दिल ऐ गुस्ताख भी करता है हिमाकत ये
कि चुपके से कह देता है “महबूब” तुझको
धीरे से हौले से कह जाना दिल का
एक प्यार से सराबोर जुबान में |
बता किसकी है, खता इसमें, दिल की या तेरी
हां ये दिल भी जुबान बोलता है तेरी ही क्योकि
ये तो तेरा ही हो चुका है ज़माने से
**राधे कृष्णा हरे कृष्णा **

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