Tuesday, 27 May 2014


छायो छायो रे लाडली को रंग शोर भयो गलियन में
छायो छायो रे .........
श्री राधा वृषभानु दुलारी राधा कान्हा को है प्यारी
वश कीन्हे याने गिरधारी गिरधारी है गयो दंग
शोर भयो गलियन में ....

ज्ञानी ध्यानी मुनि विज्ञानी ,धर्मी कर्मी मर्म न जानी
यहाँ चढ्यो प्रेम को रंग शोर भयो गलियन में
छायो छायो रे लाडली को रंग

सब सारं को प्रेम सार, है प्रेम पंथ खुद राधा सार है
यही जीवन को है संग शोर भयो गलियन में
छायो छायो रे लाडली को रंग .......

हम चाकर राधा रानी के,हम हो गये ब्रिज की रानी के
यहाँ चढ़े न दूजो रंग शोर भयो गलियन में
छायो छायो रे लाडली को रंग शोर भयो गलियन में
बोलो बरसाने वारी की जय ....

No comments:

Post a Comment